रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर के रहस्य

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर के रहस्य

नमस्कार दोस्तो आप सबका इस लेख मे स्वागत है। तामिळनाडू के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य ये एक अद्भुत तीर्थस्थळ है। रामेश्वरम मंदिर तामिळनाडू राज्य के एक रामनाथ पुरम जिले मे स्थित है। या मंदिर हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थानो मे से एक पवित्र स्थान है। यह भगवान शिव के बारा ज्योतिर्लिंग मे से एक ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहा पर प्रतिवर्ष की असंख्य मे श्रद्धांजली ग पोहचते है। एक ज्योतिर्लिंग के रूप मे इस मंदिर के मुख्य भगवान हे श्री रामनाथ स्वामीजी। तामिळनाडू राज्य के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य, इस मंदिर के विकास में हिंदू के शासकीय एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका भी रही है। उनके योगदान के बदौलत ही इस मंदिर का विकास हो पाया था। तामिळनाडू राजकीय रामेश्वरम मंदिर का रहस्य एैसी एक मान्यता भी है की, रामेश्वरम मंदिर का रहस्य उस स्थानो से है जहाॅं पर भगवान राम ने अपने सभी पापो का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया था।

रामेश्वरम या रामनाथ स्वामी मंदिर तामिळनाडू के रामेश्वरम द्विप पर स्थित है और इसके आसपास कुल मिलाकर ६४ तीर्थस्थल है| स्कंदपुराण के अनुसार इन मे से कुल 24 ही तीर्थ स्थल महत्वपूर्ण तीर्थ मे आते है| रामेश्वरम में तीर्थोपर नहाना काफी शुभ माना जाता है| औरतो का प्राचीन भी माना गया है| और ये बहुत समय से काफी प्रसिद्ध भी है| इनमे से 24 नंबर की संख्या को भगवान की 24 तीर्थ के समान माना जाता है| मंदिर के पहले और सबसे मुख्य तीर्थ को भी अग्नी तीर्थ नाम दिया गया है| इनको काजल मीठा है| और ये जल पीने योग्य भी है|

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर मे ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारा ज्योतिर्लिंग मे से एक है हिंदू महासागर और बंगाल की खाडी से गिरा एक सुंदर शंक के आकार का द्वीप है पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम भगवान विष्णू के सातवे अवतार थे  राम रामायण युद्ध के दौराण रावण का वध किया था रावण, जो पुलास्त महर्षी का पुत्र था वह शिव के बहुत बडे भक्त थे, और चारो वेदो को जानते थे इस वजह से रावण को मारने के बाद राम को बहुत पचतावा हुआ उन्हे ब्रह्म हत्या का पाप लग गया, और वो इस पाप को धोना चाहते थे उन्होने रामेश्वरम मे शिवलिंग स्थापित करने का फैसला किया उन्हे हनुमान को आदेश दिया कि, वह भगवान शिवलिंग के साथ हिमालय से आए जब हनुमान को शिवलिंग लाने मे देरी हुई तो माता सिताने समुद्र तट मे उपलब्ध रेत से एक छोटा शिवलिंग बनाया|  इस छोटेसे शिवलिंग को रामनाथ कहा जाता है | बाद मे हनुमान के आगमन पर राम ने उसे समय छोटे शिवलिंग के पास काले पत्थर के महान शिवलिंग की स्थापना की| इन दोनो शिवलिंगो की पूजा आज भी रामेश्वरम तीर्थ के  मे की जाती है| यह प्रमुख शिवलिंग ज्योतिर्लिंग हे यह भी एक बडा रहस्य हे रामेश्वरम मंदिर का |

श्री रामेश्वरम मंदिर का वास्तू है| वह एक हजार फूट लंबा और छः पच्चीस फूट जोडा है| तथा साथ ही एक सौ 25 फूट उचाई है| इस मंदिर मे एक हाथ से भी अधिक उंची शिव जी की लिंग मूर्ती स्थापित है| इसके साथ साथ ही मंदिर मे बहुत सुंदर से भी सुंदर शिवजी की प्रतिमाए मौजूद है| नंदी जी की भी एक विशाल से भी विशाल और बहुत ही आकर्षक मूर्ती लगाई हुई है| भगवान शंकर और पार्वती जी की प्रतिमाए मौजूद है| जिनके शोभायात्रा वार्षिक उत्सव पर ही निकाली जाती है| यशोगाथा मे सोने और चांदी के बहानो पर बैठा कर भगवान शिव और माता-पार्वती जी को सवारी निकालती है| वार्षिक उत्सव के अवसर पर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग को चांदी के त्रिपुरा श्वेत उत्तरे से भी सजया जाता है एक अद्भुत शिशोबा होती है|
रामेश्वरम मंदिर का रहस्य और यहा पर दुग्धभिषेक और नारियल भी चढाया जाता है|

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       ओम नमः शिवाय...🙏📿



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