सोमनाथ मंदिर के रहस्य
सोमनाथ मंदिर के रहस्य
हिंदू धर्म में मुख्य बारा ज्योतिर्लिंगोंमें सबसे पहिला ज्योतिर्लिंग हे सोमनाथ। इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ नाम कैसे बडा? और क्या है बाण स्तंभ का अनसुलझा रहस्य?
शिव महापुराण के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है, और यह ज्योतिर्लिंग सबसे पहिला और खास ज्योतिर्लिंग भी माना जाता है। सोमनाथ मंदिर की उॅंचाई लगभग 155 फीट है । या मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। सोमनाथ मंदिर प्रभास पाटण मे स्थित है। जो वेरावल बंदरगाह से थोडी दुरी पर स्थित है। मंदिर के बाहर वल्लभभाई पटेल राणी अहिल्याबाई आधी की मुर्ती भी लगी है।
मंदिर के ऊपर हे 10 टन वजनी कलश
जब आप मंदिर के अंदर जायेंगे तो आपको मंदिर के उपर एक कलश रखा दिखाई देगा। इस कलश का वजन करीब 10 टन है। यहाँ लहरा रहे ध्वजा की उचाई 27 फिट है। और अगर इसकी परिधी की बात करे तो एक फिट बताई जाती है। मंदिर के अंदर आते है। आपको चारो और विशाल आंगन दिखाई देगा। मंदिर को तीन भागो में विभाजित किया गया है।
क्या है बाण स्तंभ का अनसुलझा रहस्य?
समुद्र के किनारे मंदिर के दक्षिण मे एक बाण स्तंभ है। ये बाण स्तंभ बहुत प्राचीन है। इस बात की जानकारी किसी के पास नही है ,की इसे कब बनाया गया था। लेकिन इतिहास की गहराईयों मे जाने के बाद 6 शताब्दी से बाण स्तंभ का उल्लेख इतिहास में मिलता है। इसके जानकर बताते है, की बाण स्तंभ एक दिशादर्शक स्तंभ है । जिसके उपरी सिरे पर एक तीर (बाण) बनाया गया है। जिसका मुंह समुद्र की और है।
इस बाण स्तंभ पर लिखा है। आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योतीमार्ग। इसका मतलब ये है की, समुद्र के इस बिंदू से दक्षिण ध्रुव तक सिधी रेखा मे एक भी अवरोध या बाधा नही है। इस पंक्ती का सरल अर्थ है, कि सोमनाथ मंदिर के ऊस बिंदू से लेकर दक्षिण ध्रुव तक अर्थात अंटार्टिका तक एक सिधी रेखा खिची जाये तो, बीच मे एक भी पहाड या भूखंड का तुकडा नहीं आता है।
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